गुरुवार, 18 फ़रवरी 2016

प्यार हंसी और खुशी जीवन के तीन अनमोल पल



प्यार हंसी और खुशी जीवन के तीन अनमोल पल
किसी के भी जीवन के ये तीन अनमोल चीजे है जिसे वह जोर जबरजस्ती नहीं पा या छीन सकता है| हम इसे चाहकर या धनवान बनकर भी खरीद नहीं सकते है या यो कहे कि ये तीन चीजे बिकाऊ नहीं है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी| मानव जीवन को स्वस्थ और निर्मल, निरोग रखने के लिए भी इसकी ही आवश्यकता होती है| यदि हम निरोग और स्वस्थ रहना चाहते है तो इसे हमें जीवन में पाना होगा, अन्यथा हम कभी स्वस्थ नहीं रह संकेंगे| इन तीन चोजो में प्यार वह पल का एहशाश है जिससे हम पाना तो चाहते है पर इसे हम दूसरों में ढूढना चाहते है, जबकि प्यार वह अभिब्यक्ति है जिसे हमें दूसरे में ढूढने की जरुरत नहीं जब कोई सुंदरता का प्रतिक होता है तो हमें चाहत उसे देखने, पाने और छूने की होती है वह किसी भी रूप में हो| प्यार पाने के लिए प्यारा होना पडेगा फिर प्यार  अपने आप मिल जाएगा, आप स्वं सुन्दर लगे चाहे वह मन, तन, या वाणी से हो, सुंदरता हमें अपने व्यक्तित्व, बोलचाल के मृदभाषी, सहयोगी, आपस का सामंजस्य और भावना को छू लेना हो हो तो प्यार आप को मिल ही जाएगा|  जब आप अपने आप से एक बार प्यार करने की आदत बना लेते हो तो फिर दूसरे का प्यार आप को मिलाने से कोई नहीं रोक सकता है| प्यार केवल दो विपरीत लिंगों के बीच  ही नहीं जिसमे केवल सेक्स या शारीरक रूप से आनंद पाना ही प्यार है यह तो एक प्रकिर्ति की दी हुयी एक अनमोल तोहफा हर सामाजिक प्राणी के लिए होती है और यह की प्राय: प्यार की परिभाषा हम उसी रूप में जानते पहचानते है| जिस प्रकार विपरीत लिंग के प्रति हमारा आकर्षण और चाहत उसे एक सुन्दररूप में पपने की होती है ठीक उसी प्रकार से अन्य के प्रति भी तभी आकर्षित और चाहत पा सकते है चाहे उससे हमरा सम्बन्ध किसी भी रूप में हो जब हम सुन्दर बने और दिखे| सच्चा प्यार हमें तब अधिक समझ में आता  है जब हम उससे बिछड़ने और दूर होते है और उसके बिना हमें दर्द या गम का एह्शाश होता है वास्तव में प्यार एक समर्पण का भाव है जिसमे कोई भी अपना या बेगाना लगाने लगे और हमें दुःख का एहसाश लगाने लगे| यदि आप बिना किसी भेदभाव या लालच के एक दूसरे के लिए समर्पित हो तो प्यार होने ही लगता है| दूसरी अनमोल चीज खुशी हमें तभी मिलेगी जब हम प्यार किसी से करने लगते है और वह अच्छा और अपना लगाने लगता है जन्हा प्यार अभिब्यक्ति है ति खुशी वह एह्शाश है जिसे हम शब्दों में लिखा जा सकता है यह मन को शांति और सुख देता है और हमें प्यार में खुशी मिलती है| दूसरे खुशी हम तब महशुश करते है जब हमें किसी कार्य में कड़ी मेहनत और इमानदारी के साथ  सफलता मिलती है  तब हमें सबसे ज्यादा खुशी मिलती है जो प्यार के खुशी भी बड़ी लगती है और यह स्थायी भी रहती है| जब खुशी किसी अन्य को बिना दुख दिए मिले तो वह खुशी अनमोल रहती है| जिस खुशी में आत्म संतोष हो वह ही सच्ची खुशी है| हमें कुशी को किसी तराजू में छोटा या बड़ी कम और ज्यादा से कभी नहीं करनी चाहिए नहीं तो हम बाद में दुखी होना पद सकता है खुशी एक परसपर और निरन्तर की प्रक्रिया है और यह प्राणी को जीवन में जुडता रहता है दुःख के बिना हम खुश का एह्शाश कभी भी नहीं कर सकते है अत: कभी जीवन में दुख आती है तो इसका मतलब है बहुत ही जल्द हमें खुशी भी प्राप्त होने वाली है| इसी कारण कहा गया है की सुख – दुःख जीवन के दो पहलू है जिससे हमें खुशी का एहसास होता है| तीसरी अनमोल चीज हंसी जो आत्म जीवन की सबसे अचूक दवा है जिससे जीवन के सारे दर्द दुःख समाप्त हो जाते है, हँसाने के लिए हमें किसी चीज या किसी व्यक्ति या पैसे की जरुरत नहीं होती है बस हमें वह पल और समय की जरूररत होती है जिसे चाहकर, देखकर, सोचकर या बनकर मिलती है| हँसाने के लिए इजाजत की जरुरत नहीं हमें जब भी हंसी अंदर से लगे खुलकर हँसे चाहे वह पल अपने लिए हो या किसी और के लिए| इसके लिए मन का स्वस्थ और विचार का उत्तम होना जरूरी है हमें किसी के दुःख, अवसर या मजबूरी का मजाक बना कर कभी नहीं हँसना चाहिए क्योकि जो चीजे दूसरों को दुःख दे वह हमें खुशी कैसे दे सकती है| हमें जीवन में हसने केबहुत से अवसर देते है जिसमे सफलता एक है, सफल होने पर हमें स्वं में खुशी के साथ हंसी का एह्शाश देती है| जीवन के कुछ ऐसे पल और परिस्थितिय होती है जो अपने आप ही हंसी दे जाती है कुछ ऐसे सुविचार जीवन में बनते है जो हंसी का भाव देते है| किसी के प्रति दुविचार्य बेबशी पर हमें नहीं हँसना चहिये| हँसाने के लिए अपने अंदर हमें सुवुचार और अभिसिंचित कार्य कल्पना जो हमें हंशी दे लाने चाहिए दूसरे मजाक, दूसरे के प्रति सद्भभाव से कल्पना लाना हमें खुशी देती है| किसी कार्य का अप्रस्चित, आश्चर्य तरीका और जोक की कला, रोमांश के आदर्श तरीके, चहरे के भाव या अन्य माध्यम जिससे किसी को दुःख ना हो को करके भी हम हंसने के पल दूढ   सकते है| हँसाने से मन स्वस्थ और शरीर पुष्ट रहता है| जीवन के सफल जीने के ये तीन अनमोल रत्न ही है जो हमें निरोग रख सकते है| हम इन अनमोल चीजों को देख नहीं सकते है ना इसका मोल कर सकते है बस इसे एक दूसरे को भाव के साथ देकर शेयर कर एहसास कर सकते है| जिस प्रकार अपनी इक्षाओं के लिए भगवान के पास पूजा द्वारा पाना चाहते है, रोगी होने पर डॉक्टर के पास उपचार के लिए जाते है और दुवा आशीर्वाद या दवा से स्वस्थ औत ठीक हो जाते है ठीक उसी प्रकार इन तीन अनमोल प्यार, हंसी और खुशी को अपने संस्कार, सम्मान और कार्यों के समर्पण द्वारा पा सकते है|