जीवन निर्माण के तीन मंत्र
प्रकृति
की हर अनमोल चीजो में विशिष्ट गुणों की तरह मनुष्य का जीवन भी अनेक गुणों के साथ अत्यंत ही रोमांचक और संघर्ष शील प्रक्रिया का
धोतक है\ प्रकिरती की हर चीज को मनुष्य की
तरह ही संघर्ष में शुख और दुःख दोनों का सामंजस्य
है| प्रकिर्ति के अन्य चीज और जीव अपने शुख और सुख को प्रकिर्ति के ही बनाये नियम
और साधनों से पूर्ण कर लेता है क्योकि उनमें मनुष्य की तरह गुण जैसे बुधि,, सोच,
शक्ति और निर्णय करने की अनमोल शक्ति नहीं है| मनुष्य प्रकिर्ति के द्वारा पाए गए
इन गुणों का उपयोग कुशल, सफल और सुन्दर बना सकता है| प्रक्रति द्वारा
प्राप्त इन गुणों को हम मनुष्य जीं के तीन मंत्र द्वारा सफल और उज्वल बना सकते है
यदि हम इस पर विचार पूर्वक सही तरीके और मन से करे| ये तीन गुण शिक्षा या ज्ञान,
अनुभव या सिखने की लगातार चाहत और स्वंम का सगुण जिसे हम बहुत जल्दी नहीं पहचान
सकते है क्योकि यह कही से या किसी के द्वारा नहीं मिल सकता है| सगुन जिसे हम
इंगलिश में टैलेंट कहते है| इन सभी में शिक्षा को कही से भी पाया जा सकता है यह
स्थान्तरित होता रहता है और सतत ग्रहण करने की प्रक्रिया है| अनुभव या शिख हम
लगातार कार्यों को करते रहने से प्राप्त होता है यह स्थान्तरित नहीं हो सक
ता है
इसे हम दूसरों से सीख तो सकते है पर पा नहीं सकते है हम कही से भी अनुभव को ग्रहण
कर सकते है परन्तु तीसरा गुण (टैलेंट) इन
दोनों चीजों से भिन्नं ना तो स्थान्तरित
कर पाया जा सकता है और नहीं इसे ग्रहण किया जा सकता है| यह भी सच है की हर मनुष्य
में कुछ ना कुछ गुण होता ही है यहाँ इंगलिश में प्रचलित टलेंट जिसमे गुन का भाव
एक साथ सनुग और अवगुण में होता है परन्तु
हम तलेंट के लिए सगुन का ही समान्त्रित अर्थ लेते है| हम इस सगुण को कैसे जीवन में
पाए इसके लिए हम बहुत ज्यादा कुछ नहीं करने की जरुरत है जब हमारा ज्ञान या शिक्षा
का विस्तार और बढ़ रहा होता है और हम अनुभव के द्वारा बहुत कुछ जान लेते ई तो इस
दौरान अपनी विशिष्ट क्षमता या पर्विर्ती के द्वारा कुछ कार्य को अपने व्यहार के
साथ कई बार करते है जो एक सच्चे और अच्छे कार्य के लिए हो रहा है तो हमें यह समझ लेना
चाहिए यही गुण हमारा सगुण या टैलेंट है| मनुष्य इसी सगुण और टैलेंट को जब ठीक से
पहचान नहीं पाता तो वह लाख कोशिश के बाद
भी अपने कार्य जीवन में सफल नहीं हो पाता है और फिर हम प्रकिर्ति के साथ समय और भाग्य को
मान कर समझौता कर लेते है| यह प्रकिर्ति की बनाई हुयी चीज है जो केवल प्राणी मात्र
में ही नहीं होती परन्तु अन्य जीवो फल-फुल पेड में भी होते है और सभी अपने अपने
सगुण के ही नाते जाने और पहचाने जाते है|
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